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तीन साल बाद रविवार को आया खरीदी का महामुहूर्त पुष्य नक्षत्र
इस वर्ष दिवाली पर तीन साल के बाद 23 अक्टूबर को खरीदी का महामुहूर्त रवि पुष्य नक्षत्र का संयोग बन रहा है। इससे पहले वर्ष 2013 में यह संयोग बना था, जब रविवार के दिन खरीदी का सर्वश्रेष्ठ नक्षत्र पुष्य आया था। आगे यह संयोग चार वर्ष बाद यानी वर्ष 2020 में बनेगा।
इस बार पुष्य नक्षत्र के साथ तीन और शुभ योग आ रहे हैं, जो इस बार की खरीदारी को और शुभ बनाएंगे। पुष्य के साथ तीन प्रमुख योग में वत्स योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और बुद्धादित्य योग भी बन रहे हैं।
इन योगों के साथ पुष्य में की गई खरीदी शुभ और लाभदायी रहेगी। इसी योग में शहर के व्यापारी बही खाते, कलम दवात और व्यापार जगत से जुड़ी चीजों की खरीदी व पूजन करेंगे।
पुष्य नक्षत्र पूरे 24 घंटे का रहेगा
27 नक्षत्रों में पुष्य को नक्षत्रों का राजा कहा जाता है। पुष्य नक्षत्र के स्वामी शनि हैं, जो कि स्थिरता को प्रदान करने वाले होते हैं। वहीं पुष्य नक्षत्र के अधिमानता देव गुरु बृहस्पति हैं। यह सबको समृद्धि प्रदान करते हैं। इसलिए इस संयोग में की गई खरीदी स्थिरता और समृद्धि को प्रदान करने वाली है। पुष्य नक्षत्र शनिवार की रात 8.27 बजे से शुरू होकर रविवार रात 8.38 बजे तक यानी 24 घंटे रहेगा।
धनतेरस पर भी व्रत-अनुष्ठान का संयोग
28 अक्टूबर को धनतेरस है। इस दिन भी बाजार से खरीदी अति शुभ मानी जाती है। इस दिन धन्वंतरि जयंती पर्व के साथ, प्रदोष का व्रत और मास की शिवरात्रि का संयोग बन रहा है। इस दिन तीन व्रत अनुष्ठान किए जा सकते हैं। शिवरात्रि व्रत से कुबेर, प्रदोषकाल में दीपदान से पितृ एवं धन्वंतरि पूजन से महालक्ष्मी प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती है। कई दोषों का नाश होता है।